इस बार झूम के बरसेंगी घटाएं ! मौसम विभाग के बाद प्रकृति ने भी दिए अच्छे मानसून के संकेत
मान्यता है कि टिटहरी यदि नीचे स्थान पर अंडे देती है तो कम बारिश और ऊंचे स्थान पर अंडे देती है तो अच्छी बारिश होती है
जयपुर. ग्रामीण अंचलों में लोग सदियों से प्रकृति के इशारों से मौसम (Weather) का मिजाज भांपते आये हैं. भीषण गर्मी की आंच में झुलस रहे प्रदेश के लोगों के लिए इस बार प्रकृति (Nature) ने राहत की ओर इशारा किया है. प्रकृति इस बार मानसून अच्छा (Good monsoon) रहने के संकेत दे रही है. ये संकेत टिटहरी पक्षी द्वारा दिए गए अंडों से बखूबी समझ में आ रहे हैं. मौसम विभाग के अनुसार इस बार मानसून राजस्थान में करीब 13 दिन की देरी से 28 जनू तक प्रवेश करेगा.
मानसून का अंदाजा लगाने की पुरानी मान्यता है
दरअसल मान्यता है कि टिटहरी यदि नीचे स्थान पर अंडे देती है तो कम बारिश और ऊंचे स्थान पर अंडे देती है तो अच्छी बारिश होती है. जयपुर के नाड़ी का फाटक इलाके में इस बार टिटहरी ने खेत की बजाय मकान की छत पर अंडे दिए हैं जो अच्छी बारिश की ओर इशारा कर रहे हैं. किसान सुआलाल सैनी का कहना है कि आमतौर पर टिटहरी उनके खेत में अंडे देती थी लेकिन इस बार मकान की छत पर तीन अंडे दिए हैं. किसान टिटहरी के अंडों से ही मानसून का अंदाजा लगाते रहे हैं और आम तौर पर ये संकेत सही भी निकलते हैं. लिहाजा इस बार अच्छी बारिश की उम्मीद है.
टिटहरी को होता है पूर्वाभास
किसानों का मानना है कि टिटहरी को मानसून का पूर्वाभास होता है. अच्छे मानसून के पूर्वाभास पर वो ऊंचे स्थान पर अंडे देती है ताकि अंडे बहे नहीं. वहीं जब कम बारिश की संभावना होती है तब वो खेत में या निचले स्थानों पर अंडे देती है. टिटहरी हमेशा मानसून से पहले गर्मी में अंडे देती है. जून के अंत तक इनके अंडे देने का वक़्त होता है. इनके जल्दी अंडे देने से मानसून के जल्दी आने का अनुमान भी लगाया जाता है.
तीन अंडे यानि 3 महीने बारिश
ना केवल टिटहरी के अंडों के स्थान बल्कि टिटहरी के अंडों की संख्या से भी बारिश का अनुमान लगाया जाता है. यह माना जाता है कि टिटहरी जितने अंडे देती है उतने ही महीने अच्छी बारिश होती है. जयपुर के नाड़ी का फाटक क्षेत्र में टिटहरी ने छत 3 अंडे दिए हैं, जिससे अनुमान लगाया जा रहा है कि इस बार 3 महीने अच्छी बारिश होगी. वहीं घोसलों में पड़े होने की स्थिति से भी अंदाजा लगाया जाता है. अंडों के खड़े और बैठे रहने से भी मानसून का मिजाज भांपा जाता है.
मौसम विभाग ने भी अच्छे मानसून की भविष्यवाणी कर रखी है
मान्यता है कि जितने अंडे खड़े होते हैं उतने महीने ज्यादा बारिश और जितने अंडे बैठे होते हैं उतने महीने कम बारिश होती है. टिटहरी के तीन में से दो अंडे खड़े और एक अंडा बैठा नजर आ रहा है. टिटहरी के अंडों से मानसून के कयास पुराने समय से लगाए जाते रहे हैं. इस बार मौसम विभाग ने अच्छे मानसून की भविष्यवाणी की है और अब प्रकृति भी कुछ यही संकेत दे रही है.
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मान्यता है कि टिटहरी यदि नीचे स्थान पर अंडे देती है तो कम बारिश और ऊंचे स्थान पर अंडे देती है तो अच्छी बारिश होती है
जयपुर. ग्रामीण अंचलों में लोग सदियों से प्रकृति के इशारों से मौसम (Weather) का मिजाज भांपते आये हैं. भीषण गर्मी की आंच में झुलस रहे प्रदेश के लोगों के लिए इस बार प्रकृति (Nature) ने राहत की ओर इशारा किया है. प्रकृति इस बार मानसून अच्छा (Good monsoon) रहने के संकेत दे रही है. ये संकेत टिटहरी पक्षी द्वारा दिए गए अंडों से बखूबी समझ में आ रहे हैं. मौसम विभाग के अनुसार इस बार मानसून राजस्थान में करीब 13 दिन की देरी से 28 जनू तक प्रवेश करेगा.
मानसून का अंदाजा लगाने की पुरानी मान्यता है
दरअसल मान्यता है कि टिटहरी यदि नीचे स्थान पर अंडे देती है तो कम बारिश और ऊंचे स्थान पर अंडे देती है तो अच्छी बारिश होती है. जयपुर के नाड़ी का फाटक इलाके में इस बार टिटहरी ने खेत की बजाय मकान की छत पर अंडे दिए हैं जो अच्छी बारिश की ओर इशारा कर रहे हैं. किसान सुआलाल सैनी का कहना है कि आमतौर पर टिटहरी उनके खेत में अंडे देती थी लेकिन इस बार मकान की छत पर तीन अंडे दिए हैं. किसान टिटहरी के अंडों से ही मानसून का अंदाजा लगाते रहे हैं और आम तौर पर ये संकेत सही भी निकलते हैं. लिहाजा इस बार अच्छी बारिश की उम्मीद है.
टिटहरी को होता है पूर्वाभास
किसानों का मानना है कि टिटहरी को मानसून का पूर्वाभास होता है. अच्छे मानसून के पूर्वाभास पर वो ऊंचे स्थान पर अंडे देती है ताकि अंडे बहे नहीं. वहीं जब कम बारिश की संभावना होती है तब वो खेत में या निचले स्थानों पर अंडे देती है. टिटहरी हमेशा मानसून से पहले गर्मी में अंडे देती है. जून के अंत तक इनके अंडे देने का वक़्त होता है. इनके जल्दी अंडे देने से मानसून के जल्दी आने का अनुमान भी लगाया जाता है.
तीन अंडे यानि 3 महीने बारिश
ना केवल टिटहरी के अंडों के स्थान बल्कि टिटहरी के अंडों की संख्या से भी बारिश का अनुमान लगाया जाता है. यह माना जाता है कि टिटहरी जितने अंडे देती है उतने ही महीने अच्छी बारिश होती है. जयपुर के नाड़ी का फाटक क्षेत्र में टिटहरी ने छत 3 अंडे दिए हैं, जिससे अनुमान लगाया जा रहा है कि इस बार 3 महीने अच्छी बारिश होगी. वहीं घोसलों में पड़े होने की स्थिति से भी अंदाजा लगाया जाता है. अंडों के खड़े और बैठे रहने से भी मानसून का मिजाज भांपा जाता है.
मौसम विभाग ने भी अच्छे मानसून की भविष्यवाणी कर रखी है
मान्यता है कि जितने अंडे खड़े होते हैं उतने महीने ज्यादा बारिश और जितने अंडे बैठे होते हैं उतने महीने कम बारिश होती है. टिटहरी के तीन में से दो अंडे खड़े और एक अंडा बैठा नजर आ रहा है. टिटहरी के अंडों से मानसून के कयास पुराने समय से लगाए जाते रहे हैं. इस बार मौसम विभाग ने अच्छे मानसून की भविष्यवाणी की है और अब प्रकृति भी कुछ यही संकेत दे रही है.
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