देश में एक बार फिर बढ़ सकता हैं लॉकडाउन, सरकार की तीन बड़ी संस्थाओं ने दिए संकेत........
कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए सरकार ने लॉकडाइन 17 मई तक बड़ा दिया है। लेकिन अब इसे फिर बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है।
नई दिल्ली । कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए सरकार ने लॉकडाइन 17 मई तक बड़ा दिया है। लेकिन अब इसे फिर बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है। केंद्र सरकार की तीन बड़ी संस्थाओं ने कहा है कि देश में कोविड-19 का ट्रेंड अगर इसी तरह बना रहता है तो लॉकडाइन को बढ़ाने की जरूरत है।
एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने कहा है कि मई से अधिक मामले जून में हो सकते हैं। उस समय भारत में मामले पीक यानी अपनी ऊंचाई पर होंगे। ऐसे में फिजिकल डिस्टेंसिंग के नियम को मानना अधिक जरूरी होगा। साथ ही वह आम लोगों को भी स्वयं देखना होगा कि अनावश्यक लोग बाहर न आएं।
आईसीएमआआर ने भी सरकार से कहा है कि फिजिकल डिस्टेंसिंह सबसे अधिक जरूरी है। अगर इस पर ध्यान नहीं रखा गया तो सावधानी बेकार चली जाएगी। एक अधिकारी का मानना है कि शराब की दुकानों को लेकर उसी तरह की सावधानी बरतने की जरूरत है जैसा कि धार्मिक संस्थानों, होटल, रेस्तरां और सिनेमा हॉल या मॉल को लेकर बरती जा रही है। यहां पर फिजिकल डिस्टेंसिंग किसी भी हालत में लागू नहीं कराई जा सकती है। ऐसे में अगर जरूरी हो तो केंद्र सरकार ये अधिकार राज्यों को दे कि वह शराब की होम डिलीवरी सख्त नियमों से कराए।
आईसीएमआर के इस विचार का दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने भी समर्थन किया। उनका कहना था कि होम डिलीवरी ठेका प्रबंधक करेगा या फिर सरकार कुरियर की मदद लेगी, इस पर विचार होना चाहिए। कुछ राज्य सरकार ने इसके लिए अलग साइट इंटरनेट पर बनाई है। उसी तरह का प्रयास सभी राज्य सरकार करें।
इन दो सरकारी संस्थाओं के साथ स्वास्थ्य मंत्रालय और सीएसआईआर ने भी यह विचार रखा है कि निजी कंपनियों को खोलने, सरकारी कार्यालय में उपस्थिति के साथ ही अन्य बीमारी के मरीजों के इलाज के लिए अस्पताल खोलने पर नए तरह के नियम प्रभावी करने होंगे। रेस्तरां और होटल के लिए ऐसे नियम बनाएं जाएं कि अगर उन्हें खोला भी जाता है तो वहां पहुंचने से पहले ही पता चल जाए कि क्या वहां पर वास्तव में सीट उपलब्ध है। इसी तरह से फिलहाल पर्यटन स्थलों को बंद ही रखने के अलावा धार्मिक स्थलों को अगर खोला भी जाता है तो पूर्व बुकिंग के आधार पर ही निश्चित लोगों को प्रवेश का नियम प्रभावी किया जाए। इसके लिए सभी धार्मिक स्थलों को ऑनलाइन बुकिंग सिस्टम शुरू करने के निर्देश दिए जाएं।
इन संस्थाओं ने कहा कि केवल मजदूरों के लिए ही ट्रेन सेवा हो और अन्य लोगों के लिए रेलगाड़ी एक और महीने तक बंद रखी जाए। शहरों में केवल नौकरीपेशा लोगों के लिए ही बस में जाने की इजाजत हो। स्कूल, पर्यटक बस या निजी बस को भी सड़कों पर सार्वजनिक बस सेवा में उतारा जाए। हर बस में केवल 40 से 50 प्रतिशत व्यक्ति को ही कार्यालय के आईडीकार्ड दिखाकर चढ़ने की इजाजत दी जाए। बस में सैनेटाइजर की व्यवस्था हो। ऐसे ही ऑटो-रिक्शा में केवल दो सवारी, कार में चालक के अलावा दो सवारी और बाइक-स्कूटर पर अकेले या एक ही परिवार के दो सदस्यों को इजाजत दी जाए।
कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए सरकार ने लॉकडाइन 17 मई तक बड़ा दिया है। लेकिन अब इसे फिर बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है।
नई दिल्ली । कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए सरकार ने लॉकडाइन 17 मई तक बड़ा दिया है। लेकिन अब इसे फिर बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है। केंद्र सरकार की तीन बड़ी संस्थाओं ने कहा है कि देश में कोविड-19 का ट्रेंड अगर इसी तरह बना रहता है तो लॉकडाइन को बढ़ाने की जरूरत है।
एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने कहा है कि मई से अधिक मामले जून में हो सकते हैं। उस समय भारत में मामले पीक यानी अपनी ऊंचाई पर होंगे। ऐसे में फिजिकल डिस्टेंसिंग के नियम को मानना अधिक जरूरी होगा। साथ ही वह आम लोगों को भी स्वयं देखना होगा कि अनावश्यक लोग बाहर न आएं।
आईसीएमआआर ने भी सरकार से कहा है कि फिजिकल डिस्टेंसिंह सबसे अधिक जरूरी है। अगर इस पर ध्यान नहीं रखा गया तो सावधानी बेकार चली जाएगी। एक अधिकारी का मानना है कि शराब की दुकानों को लेकर उसी तरह की सावधानी बरतने की जरूरत है जैसा कि धार्मिक संस्थानों, होटल, रेस्तरां और सिनेमा हॉल या मॉल को लेकर बरती जा रही है। यहां पर फिजिकल डिस्टेंसिंग किसी भी हालत में लागू नहीं कराई जा सकती है। ऐसे में अगर जरूरी हो तो केंद्र सरकार ये अधिकार राज्यों को दे कि वह शराब की होम डिलीवरी सख्त नियमों से कराए।
आईसीएमआर के इस विचार का दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने भी समर्थन किया। उनका कहना था कि होम डिलीवरी ठेका प्रबंधक करेगा या फिर सरकार कुरियर की मदद लेगी, इस पर विचार होना चाहिए। कुछ राज्य सरकार ने इसके लिए अलग साइट इंटरनेट पर बनाई है। उसी तरह का प्रयास सभी राज्य सरकार करें।
इन दो सरकारी संस्थाओं के साथ स्वास्थ्य मंत्रालय और सीएसआईआर ने भी यह विचार रखा है कि निजी कंपनियों को खोलने, सरकारी कार्यालय में उपस्थिति के साथ ही अन्य बीमारी के मरीजों के इलाज के लिए अस्पताल खोलने पर नए तरह के नियम प्रभावी करने होंगे। रेस्तरां और होटल के लिए ऐसे नियम बनाएं जाएं कि अगर उन्हें खोला भी जाता है तो वहां पहुंचने से पहले ही पता चल जाए कि क्या वहां पर वास्तव में सीट उपलब्ध है। इसी तरह से फिलहाल पर्यटन स्थलों को बंद ही रखने के अलावा धार्मिक स्थलों को अगर खोला भी जाता है तो पूर्व बुकिंग के आधार पर ही निश्चित लोगों को प्रवेश का नियम प्रभावी किया जाए। इसके लिए सभी धार्मिक स्थलों को ऑनलाइन बुकिंग सिस्टम शुरू करने के निर्देश दिए जाएं।
इन संस्थाओं ने कहा कि केवल मजदूरों के लिए ही ट्रेन सेवा हो और अन्य लोगों के लिए रेलगाड़ी एक और महीने तक बंद रखी जाए। शहरों में केवल नौकरीपेशा लोगों के लिए ही बस में जाने की इजाजत हो। स्कूल, पर्यटक बस या निजी बस को भी सड़कों पर सार्वजनिक बस सेवा में उतारा जाए। हर बस में केवल 40 से 50 प्रतिशत व्यक्ति को ही कार्यालय के आईडीकार्ड दिखाकर चढ़ने की इजाजत दी जाए। बस में सैनेटाइजर की व्यवस्था हो। ऐसे ही ऑटो-रिक्शा में केवल दो सवारी, कार में चालक के अलावा दो सवारी और बाइक-स्कूटर पर अकेले या एक ही परिवार के दो सदस्यों को इजाजत दी जाए।
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