दिल्ली: हजारो मुसलमान दिल्ली छोड़कर जा रहे हैं हिंदुओं ने निकाला अपने घर से बाहर आखिर क्या है सच

दिल्ली: हजारो मुसलमान दिल्ली छोड़कर जा रहे हैं हिंदुओं ने निकाला अपने घर से बाहर आखिर क्या है सच

हिंसा से हजारों परिवार दिल्ली के इलाकों को छोड़कर दूसरे स्थान पर जाने लगे दिल्ली में 2 दिन पहले बहुत हिंसा हुई थी जिसमें दिल्ली में हिंसा सैकड़ों उत्तर पूर्वी दिल्ली के इलाकों को छोड़कर दूसरे स्थानों पर जाने लगे घरों को जला दिया जा रहा है अब रहने के लिए घर तक नहीं है विरोधियों ने कुछ दिन पहले हालत को सुधार के बाद भी सैकड़ों की भीड़ दिल्ली में देखी सड़कों पर लेकिन हर शेर की मायूसी और झलक रही थी कि अधिकतर लोग सीधे अपने घर की जरूरत समाज को छोड़कर अपने बस रेलवे स्टेशन तक रुक कर रहे हैं दिल्ली में कई इलाकों के आसपास कुछ लोग एक दूसरे के स्थानों पर नजर लगाए गई थी 12वीं की पढ़ाई छोड़कर परिजनों ने अपने घर के लिए रवाना हो गए 12वीं की पढ़ाई छोड़कर परिजनों के या मुजफ्फरनगर रवाना हुई तौसीफ और उसकी भाई आशिक ने बताया या अपने परिवारों के 12 सदस्य के साथ हिला जा रही हैं विरोधियों ने घर जला दिया है अब रहने के लिए कोई भी गैर पैसा का कोई जरिया नहीं है बृजपुरी बंद गली की दीवारों को पार करके अपने कार में करते हुए एक युवक ने बताएं अब यार रहने के लिए कुछ नहीं बचा है नसीबा ने बताया इंशा को देखकर अब याद रहना ठीक नहीं पूरा परिवार डर गया है और रिश्तेदार के घर में कम से कम जिंदगी तो सलामत रहेगी कई ऐसे परिवार देख जो हिंसा के आगामी में को कर के दर्द भरे हुए हैं अपने परिवार को छोड़कर फिलहाल आसपास इलाकों के में रिश्तेदार के घर जा रहे हैं उत्तर प्रदेश के फरीदाबाद निवासी शादाब बताया कि 2 साल पहले वाला अपनी नौकरी के नौकरी करता था और अपने परिवार के साथ रहता था लेकिन विरोधियों ने इस माहौल को बाद अपने परिवार बच्चों को छोड़कर बताया कि जिनकी रहेगी तो दुबारा कमा लेंगे
कामगार भी लौटेगा दुकानों को आग के हवाले किया था वह काम करने वाले कर्मियों के लिए ना तो नौकरी है ना ही कोई रहने के लिए खाने के लिए पैसे उसकी भी मजबूरी हो गई है कि अब दिल्ली में रह कर क्या करेंगे विरोधियों ने दुकानदारों और कारोबार को करोड़ों का नुकसान लेने के साथ-साथ अचानक सड़कों पर आगे कई दुकानों को काम करने वाले रहने के लिए जगह नहीं है लेकिन आग में जलने के बाद पैदा हुए हालात जूझने के बाद जाए अपने घर ही लौट जाए

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