90 के दशक में भय का प्रतीक बन चुके लालू यादव, साधू यादव, पप्पू यादव एवं अन्य सभी जो लालू की सरकार(जंगल

 90 के दशक में भय का प्रतीक बन चुके लालू यादव, साधू यादव, पप्पू यादव एवं अन्य सभी जो लालू की सरकार(जंगल


राज) में मुख्य भूमिका और अहम पदों पर थे, उनकी इस बेलगाम गुंडागर्दी के ख़िलाफ़ एक आवाज़ उठी, एक ऐसी आवाज़ जिसका नाम सुनकर पटना के मुख्यमंत्री आवास में भी सन्नाटा छा जाता था, जिसकी बन्दूकों का कोई सानी नही था, तब लालू ख़ेमे के किसी भी ख़लीफ़ा के पास आनंद मोहन सिंह जी की बंदूक़ के बैरल से निकली हुई गोली का कोई जवाब नही था। एक दौर शुरू हुआ जब गोलियों की तड़-तड़ाहट अक्सर सुनाई देने लगी बिहार में जंगल राज के ख़िलाफ़। सवर्णों में आस जगी की हमारी लड़ाई लड़ने वाला कोई है, ये वो दौर था जब पूर्वांचल में आज जितने भी बाहुबली है तब वो सब इस टेंडर और ठेकों की, छात्रसंघ और मुख्यधारा की राजनीति में कूदने की शुरुआत कर रहे थे, तब आनंद मोहन जी का एक मात्र ऐसा नाम था जो उत्तर प्रदेश के चुनावों में भी चला करता था, इनके साथियों की मदद ली जाती थी यहाँ के चुनावों में। तक़रीबन डेढ़ दशक के जंगल राज में अगर कोई आवाज़ सवर्णों के पक्ष में उठी तो वो सिर्फ़ आनंद मोहन जी की। उसका नतीजा कुछ यूँ हुआ की लालू नीतीश ने हाथ मिला लिया और आनंद मोहन जी को फ़र्ज़ी मुक़दमे में उम्र क़ैद करवा दी। अब जब जेल में 14 साल बीत चुके है और अच्छे आचरण की वजह से इनकी रिहाई के लिए बिहार में आंदोलन चल रहे है तो इन्हें रिहा क्यू नही किया जा रहा। इसकी मुख्य वजह कहीं ये तो नही कि आनंद मोहन सिंह का प्रभाव सारे नेता जानते है की जेल में रहने के बावजूद ये सांसदी जीत जाते है, तो कही ये बहार आए तो फ़र्ज़ी नेताओं की राजनीति पर ग्रहण ना लग जाए। आनंद मोहन जी के मुख्य बंदूक़धारी जो कभी आगे पीछे चला करते थे उनके, आज MLC और MLA है, उन लोगों को भी अपने वर्चस्व पर ख़तरा मंडराता दिख रहा है। 

ख़ैर जनता अगर साथ देगी तो क्या सम्भव नही है, मैं कभी कबार ही कुछ लिखता हूँ लेकिन उनके बेटे अंशुमन मोहन को अपने पिता की रिहाई के लिए संघर्ष करता देख, मुझे खुद भी ये एहसास हुआ कि एक बेटे के मन पर क्या बीत रही होगी अपने पिता को लगातार 14 साल से जेल में देखकर, हालाँकि मैं ऐसे आंदोलनो का हिस्सा पहले भी रहा हूँ और पूर्वांचल के रसूखदार लोगों से मेरे सम्पर्क किसी से छुपे नहीं है लेकिन या अब आनंद मोहन जी की रिहाई होगी या फिर उनके बेटे अंशुमन मोहन को बिहार में हम सब उस क़द का नेता बनाने के लिए संघर्ष करेंगे कि जिसको बिहार आने वाले कई दशकों तक याद करेगा। 

#प्रणय_सिंह_चंदेल

Previous Post Next Post